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क़ातिब
बादलों से ऊँची उड़ान
की ख़्वाइश
वो देखतीं तो हैं
आँखों में चमक लेकर,
इंद्रधनुष के रंग
ज़िन्दगी में उकेर कर
उसे बेहतर तो
करना चाहतीं हैं..
वे उस क़ातिब की तरह हैं,
जो स्याही में अपने हाथ
मैले कर
क़ाग़ज़ को ख़ूबसूरत बना दें!
प्यारी माँ,
कभी ये ख्वाइशें
खुद के लिए भी तो देख!
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